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अबकी बार नोटा का वार ÷ प्राईवेट शिक्षक संघ



रक्सौल |(AEG-Media) लोकडाउन  ने बेरोजगारी की ऐसी समस्या उत्तपन  कर दी है जिससे हर वर्ग के लोग परेशान  है | जब ऑफिस और बाकी संस्थान खुल सकते हैं तो स्कूल क्यों नहीं? ये सवाल आज सबके मन में हैं | कोरोना के साथ साथ लोग मानशिक रोग के भी सिकार हो रहे हैं | जो एक बहुत बड़ी समस्या बनती जा रही है | अगर जल्द से जल्द लोकडाउन पर कोई फैसला नहीं आया तो ना जाने कितने लोग मानसिक रोगी बन जाए, जो एक भयावह दृश्य प्रस्तुत करेगा |  
कुछ शैक्षिक संस्थानों ने इस बार चुनाव मे नोटा का बटन दबाने का निर्णय लिया है, उनका कहना है की जब आनलाईन पढ़ाई अच्छी हो रही है तो 30 % सिलेबस कम क्यो?
क्या कोरोना महामारी ग्राहक सेवा केन्द्र, बैंको,राशन दूकान,बाजार ,माल, रेल, बस,वाहनो और राजनीतिक गतिविधियो में नही फैलता है?
फैलता है तो सिर्फ स्कूल और कोचिंग मे? क्योंकि यहाँ  बच्चो को मास्क, स्वच्छता, समाजिक दूरी जैसी बातों का पालन कराया और पढाना सिखाया जाता है
1.     सरकार को छात्रो को प्रोन्नत नही करना चाहिए ।
2.     राजनीतिक गतिविधियो को बन्द कर देना चाहिए ।
3.     बस, रेल सेवा बन्द कर देना चाहिए ।
4.     चुनाव प्रचार अभियान बन्द कर देना चाहिए ।
जब एक मजदूर और गरीब परिवार को सहायता राशि दी जा सकती है तो प्राइवेट शिक्षको को क्यों नही दी सकती है ? सरकार को जब प्राइवेट शिक्षकों की आवश्यकता होती है तो यहीं शिक्षक हर वक्त तत्पर रहते हैं | परंतु सियासी खेल की विडंबना ऐसी है की एक भी राजनीतिक दल प्राइवेट शिक्षकों से मिलने नही आए, जबकि अधिकांश कार्य के लिए वे  शिक्षक और छात्रो पर निर्भर रहते हैं | कुछ राजनीतिक दल भी वोट बैंक के लिए सहायता करने का दिखावा कर रहें हैं
परंतु विडंबना है की सभी सामाजिक संगठन, धार्मिक और सास्कृतिक संगठन के लोग भी सहयोग लेकर उन्ही लोगो के पास गये, जिनके पास सभी अपने अपने महत्वाकांक्षा ले कर गए | प्राइवेट स्कूलो के द्वारा आपदा के समय भिक्षाटन करके सरकार के राहत कोष मे रूपये डालते रहे और आज प्राइवेट शिक्षको के खाते मे पैसे कौन डालेगा?
बहुत से प्राइवेट शिक्षक आज भूखमरी के कगार पर है| वे दर दर की ठोकरें खाने को मजबूर हैं— कभी अभिभावक के घर, कभी प्रखंड मे , तो कभी अनुमंडल मे, कभी जिले मे, तो कभी कोर्ट मे सारकारी शिक्षण संस्थानों की जैसी जर जर हालत है वो सब जानते हैं ,ऐसे मे अगर प्राईवेट शिक्षकों का भविष्य हिन खतरे मे नजर आए तो शायद कल कोई शिक्षा देने को तैयार न हो और देश की युवा पीढ़ी शिक्षा से वंचित न रह जाए | इन सभी बातों को ध्यान मे रखते हुए शिक्षकों के बारे मे सोचना होगा क्योंकि सरकार कोई न कोई बहाना बनाकर स्कूलो को बन्द करती रहेगी । अबकी बार राजनीतिक दल,सामाजिक, सांस्कृतिक सभी संगठनो के बारे मे गहराई से बिचार करने की जरूरत है ।अबकी बार नोटा का वार ÷ प्राईवेट शिक्षक संघ




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